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Friday 13 June 2014

संचार में बाधा (Barriers of Communication)

संचार में बाधा (Barriers of Communication)

 संचार प्रक्रिया में बाधा एक प्रकार का अवरोध है, जो संदेश के प्रभाव को कमजोर कर देता है। परिणामत: संदेश को ग्रहण करने व उसके अर्थ को समझने में प्रापक को तथा समझाने में संचारक को परेशानी होती है। इसमें विकृत फीडबैक मिलता है। दूसरे अर्थो में, संचार प्रक्रिया के दौरान संचारक चाहता है कि उसके द्वारा सम्प्रेषित संदेश शत-प्रतिशत प्रापक तक पहुंचे तथा वह उसकी व्याख्या उन्हीं अर्थो में करें, जिसको ध्यान में रखकर संदेश की संरचना व सम्प्रेषण की गयी है। इस प्रक्रिया में कोई न कोई बाधा अवश्य आती है। यह बाधा निम्नलिखित हो सकती है :-
                 (A)  शारीरिक बाधा  (Physical Barriers)
                 (B)   भाषाई बाधा (Language Barriers)
                 (C)  सांस्कृतिक बाधा (Cultural Barriers)
                 (D)  भावनात्मक बाधा (Emotional Barriers)
                 (E)  अवधारणात्मक बाधा (Perceptual Barriers)   

(A) शारीरिक बाधा : इसका तात्पर्य संचारक और प्रापक में शारीरिक अक्षमता से है, जिसके कारण संदेश को सम्प्रेषित करने या ग्रहण करने या अर्थ को समझने में बाधा उत्पन्न होती है। संचार प्रक्रिया में संदेश के प्रभाव को कमजोर करने वाली प्रमुख शारीरिक बाधाएं निम्नलिखित हैं :-
  1. उच्चारण क्षमता का कमजोर होना : मौखिक संचार प्रक्रिया में संचार के उच्चारण क्षमता की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। संचारक की उच्चारण क्षमता कमजोर या अस्पष्ट होने की स्थिति में संदेश का सम्प्रेषण वास्तविक रूप में नहीं हो जाता है, जिससे संचार प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होती है। कई बार उच्चारण क्षमता में निपुर्ण संचारक भी कठीन शब्द का उच्चारण ठीक से नहीं कर पाता है, जिसके चलते संदेश के वास्तविक अर्थ को समझने में परेशानी होती है। 
  2. श्रवण क्षमता का कमजोर होना : मौखिक संचार प्रक्रिया के तहत सम्प्रेषित संदेश को सुनने के लिए प्रापक में श्रवण क्षमता का होना आवश्यक है। ऐसा न होने की स्थिति में संचारक संदेश सम्प्रेषण के दौरान चाहे जितना भी सरल व स्पष्ट शब्दों का प्रयोग करें या तेज आवाज में बोले, लेकिन प्रापक उसके संदेश को शत-प्रतिशत ग्रहण नहीं कर सकता है, अर्थात... श्रवण क्षमता कमजोर होने के कारण संचार में बाधा उत्पन्न होती है। 
  3. दृश्य क्षमता का कमजोर होना : लिखित संचार में दृश्य क्षमता की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। प्रापक में दृश्य क्षमता के कमजोर होने से संचार प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होती है तथा संचारक द्वारा सम्प्रेषित संदेश को प्रापक शत-प्रतिशत ग्रहण नहीं कर पाता है। मोटे-मोटे अक्षरों में लिखें संदेश को पढक़र समझ लेता है, लेकिन छोटे अक्षरों में लिखें संदेश को न तो पढ़ पाता है और न तो समझ पाता है। 

(B) भाषाई बाधा : इसका तात्पर्य उन अवरोधों से है, जिनका सम्बन्ध भाषा से होता है। मरफ  और पैक के अनुसार- शब्दकोष में रन (Run) शब्द के 110 अर्थ है। इनमें 71 क्रिया, 35 संज्ञा तथा 4 विश्लेषण के रूप में हैं। ऐसी स्थिति में संचारक जिस अर्थ में रन शब्द का प्रयोग किया होता है, उस अर्थ को प्रापक समझ लेता है तो संचार प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न नहीं होता है। इसके विपरीत, यदि गलत अर्थ समझता है तो भाषाई बाधा उत्पन्न होता है। भाषाई बाधा निम्नलिखित हैं :- 
  1. भाषा का अल्प ज्ञान होना : समाज में कई प्रकार की भाषाएं प्रचलित है। यह जरूरी नहीं है कि एक व्यक्ति को सभी भाषाओं का ज्ञान हो, अर्थात... भाषाओं का अल्प ज्ञान होने से भी संचार में बाधा उत्पन्न होती है। उदाहरणार्थ, कोई वरिष्ठ अधिकारी मूलत: तमिलनाडू का निवासी होने के कारण हिन्दी या अंग्रेजी के साथ तमिल भाषा बोलने का आदती हो। ऐसे में वह अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को मौखिक संचार के माध्यम से संदेश देगा तो भाषाओं के अल्प ज्ञान के कारण संचार में बाधा उत्पन्न होगी।
  2. दोषपूर्ण अनुवाद होना : वर्तमान समय में अत्याधुनिक संचार माध्यमों (ई-मेल, ई-फैक्स, ई-प्रिंट इत्यादि) पर विविध भाषाओं में सूचनाओं का प्रवाह हो रहा है, जिसे ग्रहण करने के लिए अल्प भाषी को अनुवाद करना पड़ता है। दोषपूर्ण अनुवाद होने की स्थिति में सूचना का वास्तविक अर्थ परिवर्तित हो जाता है। अत: संदेश का दोषपूर्ण अनुवाद होने से संचार में भाषाई बाधा उत्पन्न होती है।
  3. तकनीकी भाषा का ज्ञान न होना : यह आम लोगों की नहीं बल्कि खास लोगों की भाषा होती है, जिसका उपयोग अक्सर कार्य क्षेत्र में किया जाता हैं। यदि खास लोग अपनी तकनीकी भाषा में संदेश सम्प्रेषित करते हैं तो आम लोगों को समझ में नहीं आता है, जिससे संचार के दौरान बाधा उत्पन्न होती है। 

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